RUDRAKSHA – TYPES, USES METHODS AND MANTRA FOR USE

RUDRAKSHA

2025 की शुरुआत में कुछ लोगों ने मुझसे रुद्राक्ष और उसके ज्योतिषीय उपायों में उपयोग के बारे में पूछा। मैंने उन्हें स्पष्ट रूप से कहा कि मैं रुद्राक्ष के बारे में कुछ भी नहीं जानता, न ही मैंने कभी इसका उपयोग किया है और न ही किसी को इसे पहनने की सलाह दी है। लेकिन इसके बाद मैंने सोचा कि मुझे इस विषय पर इंटरनेट से जानकारी एकत्रित करनी चाहिए और कभी इस पर लिखना चाहिए।

इसलिए, मैंने विभिन्न वेबसाइटों से जानकारी एकत्र की, उसे पढ़ा और अंततः इस लेख को तैयार किया। आशा है कि आप सभी को यह उपयोगी लगेगा।शुद्ध रुद्राक्ष: पहचान, महत्व और प्रयोग

रुद्राक्ष केवल एक धार्मिक आभूषण नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से प्रभावी एक दिव्य रत्न है। यह भगवान शिव के अश्रुओं से उत्पन्न हुआ माना जाता है और इसकी ऊर्जा शरीर, मन और आत्मा पर गहरा प्रभाव डालती है। लेकिन इसका लाभ तभी प्राप्त होता है जब यह शुद्ध और असली हो। आजकल नकली रुद्राक्षों की भरमार है, इसलिए शुद्ध रुद्राक्ष की पहचान और उसका सही प्रयोग अत्यंत आवश्यक है।

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शुद्ध रुद्राक्ष की पहचान

असली रुद्राक्ष की पहचान करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है। कई व्यापारी प्लास्टिक, लकड़ी, या रासायनिक रूप से संशोधित रुद्राक्ष बेचते हैं, जिससे इसका प्रभाव समाप्त हो जाता है।

१. जल परीक्षण (Water Test)

• एक गिलास पानी में रुद्राक्ष डालें।

• यदि यह डूब जाता है, तो यह शुद्ध है; यदि यह तैरता है, तो यह नकली हो सकता है।

• ध्यान दें: कभी-कभी नकली रुद्राक्ष में सीसा या अन्य धातुएँ भर दी जाती हैं ताकि वह डूब जाए। इसलिए केवल इस परीक्षण पर निर्भर न रहें।

२. दूध परीक्षण (Milk Test)

• शुद्ध रुद्राक्ष को कुछ घंटे कच्चे दूध में रखें।

• यदि दूध की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आता है, तो यह असली है।

• नकली रुद्राक्ष से दूध खट्टा हो सकता है।

३. स्पर्श और स्पंदन (Touch & Vibration Test)

• असली रुद्राक्ष को हथेली में रखने पर हल्की गर्मी या ऊर्जा का अहसास होता है।

• इसे कुछ देर तक रखने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा महसूस हो सकती है।

४. मुख पहचान (Mukh Verification)

• असली रुद्राक्ष की मुख रेखाएँ गहरी और स्पष्ट होती हैं।

• नकली रुद्राक्ष में प्लास्टिक या मशीन से बनाई गई उथली रेखाएँ हो सकती हैं।

५. माइक्रोस्कोप टेस्ट (Microscope Test)

• असली रुद्राक्ष के मुखों के बीच सूक्ष्म प्राकृतिक फाइबर और खांचे होते हैं।

• नकली में यह संरचना दिखाई नहीं देती।

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शुद्ध रुद्राक्ष के लाभ

शुद्ध और असली रुद्राक्ष कई प्रकार की मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान करता है।

१. शारीरिक लाभ

हृदय रोग से बचाव

ब्लड प्रेशर नियंत्रण

तनाव और चिंता से मुक्ति

डायबिटीज में सहायक

स्नायु तंत्र और मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है

२. मानसिक लाभ

स्मरण शक्ति और एकाग्रता बढ़ाता है

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है

आत्मविश्वास और आत्मबल को बढ़ाता है

३. आध्यात्मिक लाभ

ध्यान और योग में सहायता करता है

कुंडलिनी जागरण को बढ़ावा देता है

बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करता है

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शुद्ध रुद्राक्ष की धारण विधि

शुद्ध रुद्राक्ष को धारण करने से पहले सही विधि का पालन करना आवश्यक है।

१. शुद्धिकरण (Purification)

• रुद्राक्ष को गंगाजल और कच्चे दूध में रातभर भिगोकर रखें।

• अगले दिन इसे पानी से धोकर शुद्ध घी और शहद से अभिषेक करें।

२. मंत्र जाप और ऊर्जा संचार (Energization)

• रुद्राक्ष को धारण करने से पहले मंत्रों का जाप करें।

• प्रमुख मंत्र:

“ॐ नमः शिवाय” – सभी रुद्राक्षों के लिए

“ॐ ह्रीं नमः” – मानसिक शांति के लिए

“ॐ रुद्राय नमः” – शक्ति और सुरक्षा के लिए

३. पहनने का सही तरीका

• रुद्राक्ष को सोने, चाँदी, तांबे, या लाल धागे में धारण करें।

• इसे सोमवार, गुरुवार, या महाशिवरात्रि के दिन पहनना शुभ माना जाता है।

• रुद्राक्ष पहनने के बाद नित्य “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

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शुद्ध रुद्राक्ष से जुड़ी सावधानियाँ

रुद्राक्ष को कभी साबुन, डिटर्जेंट या रसायनों से न धोएँ।

इसे किसी अन्य व्यक्ति को पहनने के लिए न दें।

मांस-मदिरा, तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से बचें।

रुद्राक्ष को पूजा स्थल में रखें जब उपयोग न करें।

सोते समय या स्नान के समय इसे उतारकर रखें।

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शुद्ध रुद्राक्ष का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व

शुद्ध रुद्राक्ष का प्रयोग केवल धार्मिक या आध्यात्मिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि ज्योतिषीय उपायों के रूप में भी किया जाता है।

१. ग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राक्ष

• सूर्य दोष – १२ मुखी रुद्राक्ष

• चंद्र दोष – २ मुखी रुद्राक्ष

• मंगल दोष – ३ मुखी रुद्राक्ष

• बुद्ध दोष – ४ मुखी रुद्राक्ष

• गुरु दोष – ५ मुखी रुद्राक्ष

• शुक्र दोष – ६ मुखी रुद्राक्ष

• शनि दोष – ७ और १४ मुखी रुद्राक्ष

• राहु दोष – ८ मुखी रुद्राक्ष

• केतु दोष – ९ मुखी रुद्राक्ष

२. राशि अनुसार रुद्राक्ष

• मेष (Aries) – ३ और १४ मुखी

• वृषभ (Taurus) – ६ मुखी

• मिथुन (Gemini) – ४ मुखी

• कर्क (Cancer) – २ और ७ मुखी

• सिंह (Leo) – १ और १२ मुखी

• कन्या (Virgo) – ४ और १० मुखी

• तुला (Libra) – ६ और १३ मुखी

• वृश्चिक (Scorpio) – ९ और ११ मुखी

• धनु (Sagittarius) – ५ और ११ मुखी

• मकर (Capricorn) – ७ और १४ मुखी

• कुंभ (Aquarius) – ७ और ८ मुखी

• मीन (Pisces) – ५ और ११ मुखी

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निष्कर्ष

शुद्ध रुद्राक्ष का सही प्रयोग करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है। रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी शुद्धता की जाँच अवश्य करनी चाहिए और उचित विधि से इसे धारण करना चाहिए। सही रुद्राक्ष धारण करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है।

नक्षत्रों के अनुसार रुद्राक्ष का चयन एवं प्रयोग

रुद्राक्ष न केवल आध्यात्मिक एवं धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत प्रभावी होता है। प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र नक्षत्र (जन्म नक्षत्र) का महत्वपूर्ण स्थान होता है, और विभिन्न नक्षत्रों से प्रभावित व्यक्तियों के लिए भिन्न-भिन्न रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी सिद्ध होता है। इस लेख में हम यह जानेंगे कि २७ नक्षत्रों के लिए उपयुक्त रुद्राक्ष कौन-से हैं, उनका महत्व क्या है, और उन्हें धारण करने की विधि क्या होनी चाहिए

२७ नक्षत्रों के लिए उपयुक्त रुद्राक्ष

क्षत्र स्वामी ग्रह अनुशंसित रुद्राक्ष लाभ

अश्विनी केतु ९ मुखी आत्मबल, रोग निवारण, बुरी शक्तियों से रक्षा

भरणी शुक्र ६ मुखी आत्मसंयम, सौंदर्य, भोग-विलास में वृद्धि

कृतिका सूर्य १२ मुखी नेतृत्व क्षमता, आत्मविश्वास, सम्मान

रोहिणी चंद्र २ मुखी मानसिक शांति, भावनात्मक स्थिरता

मृगशिरा मंगल ३ मुखी क्रोध नियंत्रण, शक्ति, उत्साह में वृद्धि

आर्द्रा राहु ८ मुखी राहु दोष निवारण, मानसिक भ्रम से मुक्ति

पुनर्वसु गुरु ५ मुखी ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति, सकारात्मक ऊर्जा

पुष्य शनि ७ मुखी आर्थिक समृद्धि, सफलता, बाधा निवारण

आश्लेषा बुध ४ मुखी बुद्धि, तर्कशक्ति, संचार कौशल में सुधार

मघा केतु ९ मुखी पूर्वजों का आशीर्वाद, आध्यात्मिक प्रगति

पूर्वा फाल्गुनी शुक्र ६ मुखी प्रेम, वैवाहिक सुख, आकर्षण में वृद्धि

उत्तरा फाल्गुनी सूर्य १ मुखी आत्म-ज्ञान, उच्च आत्मिक शक्ति

हस्त चंद्र २ मुखी मन की शांति, भावनात्मक संतुलन

चित्रा मंगल ३ मुखी आत्मविश्वास, ऊर्जा, साहस में वृद्धि

स्वाति राहु ८ मुखी निर्णय क्षमता, ग्रहणशीलता, अस्थिरता दूर करना

विशाखा गुरु ५ मुखी धार्मिक प्रवृत्ति, सद्गुणों में वृद्धि

अनुराधा शनि ७ मुखी धैर्य, अनुशासन, कर्मठता में वृद्धि

ज्येष्ठा बुध ४ मुखी स्मरण शक्ति, निर्णय क्षमता में वृद्धि

मूल केतु ९ मुखी आध्यात्मिक शक्ति, रहस्यमयी ज्ञान की प्राप्ति

पूर्वाषाढ़ा शुक्र ६ मुखी आकर्षण, वैवाहिक सुख, कांति

उत्तराषाढ़ा सूर्य १२ मुखी नेतृत्व, शासन क्षमता, समाज में प्रतिष्ठा

श्रवण चंद्र २ मुखी ध्यान, मन की शांति, संकल्प शक्ति

धनिष्ठा मंगल ३ मुखी आत्मबल, स्वास्थ्य, ऊर्जा में वृद्धि

शतभिषा राहु ८ मुखी रहस्यमयी ज्ञान, नवाचार, कुंडलिनी जागरण

पूर्वा भाद्रपद गुरु ५ मुखी धार्मिक कार्यों में वृद्धि, सकारात्मकता

उत्तर भाद्रपद शनि ७ मुखी आर्थिक उन्नति, संयम, धैर्य में वृद्धि

रेवती बुध ४ मुखी संगीत, कला, सौम्यता, संवाद कौशल

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रुद्राक्ष धारण करने की विधि

रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उचित विधि से उसका पूजन और मंत्र सिद्धि करना आवश्यक होता है।

१. रुद्राक्ष शुद्धिकरण (Purification)

• रुद्राक्ष को गंगाजल या कच्चे दूध में रातभर रखें।

• अगली सुबह इसे जल से धोकर शुद्ध घी और शहद से अभिषेक करें।

• इसे भगवान शिव के चरणों में रखकर प्रार्थना करें।

२. मंत्र जाप और ऊर्जा संचार (Energization)

• प्रत्येक रुद्राक्ष के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है:

• १ मुखी – “ॐ ह्रीं नमः”

• २ मुखी – “ॐ नमः”

• ३ मुखी – “ॐ क्लीं नमः”

• ४ मुखी – “ॐ ह्रीं नमः”

• ५ मुखी – “ॐ नमः शिवाय”

• ६ मुखी – “ॐ ह्रीं हुं नमः”

• ७ मुखी – “ॐ हूं नमः”

• ८ मुखी – “ॐ हूं नमः”

• ९ मुखी – “ॐ ह्रीं हूं नमः”

• १० मुखी – “ॐ ह्रीं नमः”

• ११ मुखी – “ॐ ह्रीं हूं नमः”

• १२ मुखी – “ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः”

• १३ मुखी – “ॐ ह्रीं नमः”

• १४ मुखी – “ॐ नमः”

• मंत्र का १०८ बार जाप करें और फिर इसे धारण करें।

३. धारण करने का सही तरीका

रुद्राक्ष को सोने, चाँदी, तांबे या लाल धागे में धारण करें।

इसे सोमवार या गुरु पुष्य नक्षत्र में पहनना शुभ होता है।

इसे पहनने के बाद नियमित “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।

स्नान या सोते समय इसे उतारना न भूलें।

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विशेष सावधानियाँ

निष्कर्ष

प्रत्येक नक्षत्र से संबंधित रुद्राक्ष का चयन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। सही विधि से धारण किया गया रुद्राक्ष व्यक्ति के ग्रह दोषों को शांत करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखता है। यदि आप अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार उचित रुद्राक्ष धारण करते हैं, तो इससे आपके जीवन में उन्नति और सुख-शांति बनी रहेगी।

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