
क्लास १२ की परीक्षा बच्चों के लिए एक बेहद अहम मोड़ होता है और बहुत तनाव भरा छन। उनके माता पिता के लिए भी ये कठिन समय होता है।
मेरे सर्विस के एक मित्र ने फ़रवरी में फ़ोन कर बताया कि उनका पुत्र दो महीने से बीमार चल रहा है और रोज़ डॉक्टर हॉस्पिटल का चक्कर लग रहा है और उसका क्लास १२ का एग्जाम है क्या होगा। मैंने कुंडली बनायी। कर्क लग्न की कुंडली और लग्न में वक्री शनि । दशा चल रही थी बुध की जो बारहवें घर का स्वामी होकर अष्टम में बैठ था और ये दोनों घर ख़राब होते हैं। अंतरदासा भाग्येश बृहस्पति की थी जो चतुर्थ भाव में लेकिन वक्री । गुरु पंचम दृष्टि से बुध को देख रहा है जो शुभ है।बुध और गुरु दिनों ही विद्या कारक ग्रह हैं।गोचर का शनि अष्टम में बैठ कर पंचम भाव जो विद्या का घर है को बाधित कर रहा था। गोचर का गुरु १ मई से यानी रिजल्ट के आने से पहले लाभ स्थान से विद्या भाव को देखना था जो इंगित कर रहा था कि बीमारी के बाबजूद भी बच्चा अच्छा करेगा और पढ़ाई में ब्रेक नहीं है।
कल मित्र ने फ़ोन कर बताया कि बच्चे ने ८३ प्रतिशत अंक लाए जिसकी उम्मीद उनलोगों को उस परिस्थिति में नहीं थी।
और सब से बेहतर ये कि उसका एडमिशन एक अच्छे प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में हो रहा है।
मेरे एक फ़ेसबुक फ्रेंड ने कभी पूछा था कि एस्ट्रोलॉजी का उपयोग क्या है।उन्हें इस केस स्टडी से ये तो पता चल गया होगा कि कठिन समय में ज्योतिषियों सलाह आप के लिए उत्साह बढ़ाने का कार्य करता है।

