मेरे एक मित्र कुछ महीने पूर्व अपनी पत्नी और बेटी के साथ मिलने आये थे । बेटी की कुंडली देख कर मैंने पूछा था कि तुम शायद विदेश में कम कर रही हो । उसने कहा हां मैं लंदन में कम कर रही हूँ। उसके बारहवें घर का स्वामी शनि कुंडली के दशम भाव जो प्रोफेशन। दर्शाता है में बैठा था।फिर मैं पूछा तुम्हारा प्रश्न क्या है । उसने कहा संतान कब होंगे?
कुंभ लग्न की कुंडली में लग्न में बैठा बृहस्पति संतान सुख दिखा रहा था । महा दशा चंद्र की थी और अंतर्दशा बुध की जो पंचेमेश था। संतान के लिए सप्तमेश देखा जाता है। यहाँ लगना कर्क था जिसका स्वामी चंद्र दूसरे घर में कारक बृहस्पति के साथ था । अंतरदशा नाथ बुध नवम भाव में बैठा था जो भवतभावम सिद्धांत के अनुसार संतान का घर माना जाता है।
गोचर का गुरु जन्म कुंडली के नवम भाव पर दृष्टि डाल रहा था और गोचर का शनि नवमेश शुक्र को देख रहा था। गुरु और शनि का डबल ट्रांजिट स्पष्ट रूप से संतान प्राप्ति की ओर इशारा कर रहे थे। मैंने कहा था कि समय आ गया है और जल्द ही गुड न्यूज़। आना चाहिए।
दो दिन पूर्व उसकी बहन ने बताया कि वह माँ बनने वाली है।
कुंडली नीचे है।


