

NAKSHTRA VAN ECOPARK PATNA
हर नक्षत्र के चार पाद होते हैं, और सामान्यतः एक ही देवता उस पूरे नक्षत्र के सभी पादों के लिए होता है। इसलिए, एक ही नक्षत्र के चारों पादों के लिए एक ही देवता और मंत्र होता है। इससे संबंधित मंत्र जाप करना सरल और एकरूप हो जाता है।
कृपया अपनी जन्म कुंडली से नक्षत्र पाद का पता लगाएं और दी गई सूची से संबंधित देवता और उनके मंत्र को खोजें। इन मंत्रों का स्वयं प्रतिदिन कम से कम 108 बार जाप करें। बेहतर परिणाम के लिए, मंत्र को संबंधित नक्षत्र के वृक्ष के नीचे बैठकर जाप करें।
पटना के इकोपार्क में एक नक्षत्र पार्क है, जहाँ एक बड़े गोलाकार स्थान में 27 नक्षत्रों के पेड़ अनुक्रम में लगे हुए हैं। मैं इस कार्य के लिए राज्य वन विभाग को धन्यवाद देता हूँ।
मंत्र और देवता का चयन
जन्म नक्षत्र का पता लगाने के लिए, अपनी जन्म कुंडली का अध्ययन करें या किसी ज्योतिषी से परामर्श लें। एक बार नक्षत्र और पाद का पता चलने पर, संबंधित देवता और मंत्र का चयन करें।
उदाहरण
उदाहरण के तौर पर:
- यदि आपका जन्म नक्षत्र अश्विनी है और पाद 2 है, तो देवता अश्विनी कुमार हैं और मंत्र होगा:
- “ॐ अश्विनीकुमार देवाय नमः”
- अश्विनी (केतु):
- देवता: अश्विनी कुमार
- मंत्र: “ॐ अश्विनी कुमार देवताय नमः”
- भरणी (शुक्र):
- देवता: यम
- मंत्र: “ॐ यमाय नमः”
- कृत्तिका (सूर्य):
- देवता: अग्नि
- मंत्र: “ॐ अग्नये नमः”
- रोहिणी (चंद्र):
- देवता: ब्रह्मा या प्रजापति
- मंत्र: “ॐ प्रजापतये नमः”
- मृगशिरा (मंगल):
- देवता: सोम (चंद्र)
- मंत्र: “ॐ चन्द्राय नमः”
- आर्द्रा (राहु):
- देवता: रुद्र (शिव)
- मंत्र: “ॐ रुद्राय नमः”
- पुनर्वसु (गुरु):
- देवता: अदिति
- मंत्र: “ॐ अदितये नमः”
- पुष्य (शनि):
- देवता: बृहस्पति (गुरु)
- मंत्र: “ॐ बृहस्पतये नमः”
- आश्लेषा (बुध):
- देवता: नाग (सर्प)
- मंत्र: “ॐ नागदेवताय नमः”
- मघा (केतु):
- देवता: पितृ
- मंत्र: “ॐ पितृ देवताय नमः”
- पूर्व फल्गुनी (शुक्र):
- देवता: भग
- मंत्र: “ॐ भग देवताय नमः”
- उत्तर फल्गुनी (सूर्य):
- देवता: अर्यमा
- मंत्र: “ॐ अर्यमा देवताय नमः”
- हस्त (चंद्र):
- देवता: सविता
- मंत्र: “ॐ सवित्रे नमः”
- चित्रा (मंगल):
- देवता: त्वष्टा
- मंत्र: “ॐ त्वष्ट्रे नमः”
- स्वाति (राहु):
- देवता: वायु (पवन)
- मंत्र: “ॐ वायवे नमः”
- विशाखा (गुरु):
- देवता: इन्द्र और अग्नि
- मंत्र: “ॐ इन्द्राय अग्नये नमः”
- अनुराधा (शनि):
- देवता: मित्र
- मंत्र: “ॐ मित्राय नमः”
- ज्येष्ठा (बुध):
- देवता: इन्द्र
- मंत्र: “ॐ इन्द्राय नमः”
- मूल (केतु):
- देवता: निरृति
- मंत्र: “ॐ निरृतये नमः”
- पूर्वाषाढ़ा (शुक्र):
- देवता: अप (जल)
- मंत्र: “ॐ अपः देवताय नमः”
- उत्तराषाढ़ा (सूर्य):
- देवता: विश्वेदेव
- मंत्र: “ॐ विश्वेदेवभ्यो नमः”
- श्रवण (चंद्र):
- देवता: विष्णु
- मंत्र: “ॐ विष्णवे नमः”
- धनिष्ठा (मंगल):
- देवता: अष्ट वसु
- मंत्र: “ॐ वसुभ्यो नमः”
- शतभिषक (राहु):
- देवता: वरुण
- मंत्र: “ॐ वरुणाय नमः”
- पूर्वभाद्रपद (गुरु):
- देवता: अज एकपाद
- मंत्र: “ॐ अज एकपादाय नमः”
- उत्तरभाद्रपद (शनि):
- देवता: अहिर्बुध्न्य
- मंत्र: “ॐ अहिर्बुध्न्याय नमः”
- रेवती (बुध):
- देवता: पुषण
- मंत्र: “ॐ पुष्णे नमः”
- इन मंत्रों का नियमित जप आपके विशेष नक्षत्र और पाद के ऊर्जा के साथ तालमेल बनाने में सहायक हो सकता है। अपने जन्म चार्ट का विश्लेषण कर सही नक्षत्र और पाद का पता लगाएं और संबंधित मंत्र को अपनी दैनिक साधना में शामिल करें